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Monday, September 24, 2018

राहुल गांधी को चोर कहकर क्या खुद को 'लुटेरा' मान रही है बीजेपी?






राहुल गांधी/नरेंद्र मोदीइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

"राहुल गांधी से हम कुछ और उम्मीद कर भी नहीं सकते. एक ऐसा व्यक्ति जिसके पूरे परिवार ने बोफोर्स मामले में घूस लेकर भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा की थी. इनका पूरा परिवार 2 जी, कोयला घोटाला, आदर्श घोटाला से भरा रहा है. इनका पूरा परिवार इस देश में भ्रष्टाचार की जननी है और राहुल गांधी हमारे प्रधानमंत्री जी के बारे में ऐसी ओछी बात करते हैं. राहुल गांधी जी भ्रष्टाचार, जमीन और शेयर की लूट में अपनी मां के साथ नेशनल हेराल्ड केस में चार्जशीटेड हैं, वो हमसे बात करते हैं."
केंद्र सरकार के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को गुस्से से दांत पीसते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को वो सब बातें याद दिलाने की कोशिश की जिनके आधार पर उनके मुताबिक़ राहुल गांधी रफ़ाएल डील विवाद में मौजूदा प्रधानमंत्री पर उंगली उठाने लायक ही नहीं हैं.



इससे पहले राहुल गांधी ने शनिवार को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करके रफ़ाएल डील के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी चुप्पी तोड़ने को कहा था.

रविशंकर प्रसादइमेज कॉपीरइटYOUTUBE/BJP
Image captionकेंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में.

उन्होंने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के उस बयान का ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने कहा है कि रफ़ाएल विवाद में अनिल अंबानी की कंपनी को शामिल करने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.
लड़ाकू विमान रफ़ाएल में घोटाला हुआ या नहीं ये सालों तक चलने वाली कोर्ट की प्रक्रियाओं से तय होगा जैसा कि 2 जी मामले में हुआ. दिल्ली की एक विशेष अदालत ने आख़िरकार इसे एक घोटाला मानने से इनकार कर दिया.




गांधी परिवार को क्यों कहाभ्रष्टाचारी?
लेकिन फ़िलहाल सबसे दिलचस्प बात ये है कि जब विपक्ष, विशेषकर राहुल गांधी रफ़ाएल डील के मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांग रहे हैं तब कांग्रेस को उसकी कथित हक़ीकत याद दिलाने की कोशिश को क्या कहा जाए.

कार्टून

शास्त्रों मतलब तर्कशास्त्र की भाषा में इसे ही व्हाटअबाउटरी कहा गया है. ये एक बेहद मारक हथियार है. आप इसकी रफ़्तार को रफ़ाएल जितनी ही मान लीजिए.
और स्टेल्थ तकनीक ऐसी कि टीवी से चिपककर प्राइमटाइम बहस सुनता दर्शक भी चकरा जाए कि पलक झपकते ही बहस रफ़ाएल विमान से क्वात्रोची पर कैसे पहुंच गई.
लेकिन एक बार जो ये हथियार चल गया तो इसके सामने दुनिया का बड़े से बड़े एंकर भी पानी मांग जाए.
इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि आपके ऊपर जैसे ही एक मुश्किल सवाल आता तो आप एंटी-मिसाइल सिस्टम से भी तेज़ गति से सवाल को हवा में ही चकनाचूर करके सवाल पूछने वाले को ही कठघरे में खड़ा कर देते हैं.

संबित पात्राइमेज कॉपीरइटYOUTUBE/BJP

टीवी पर होने वाली बहसों में ये अक्सर देखने में आता है.
इसकी वजह भी है क्योंकि प्रवक्ताओं के सामने रोजाना ऐसे सवाल सामने आते हैं जिनके जवाब खूबसूरती से टालने की वजह से ही प्रवक्ता क़ानून और सूचना-प्रसारण मंत्री जैसे ऊंचे पदों तक पहुंच जाते हैं.

व्हाटअबाउटरी कहां से आया?

राजनीतिक बहसों में सवालों के जवाब देने का ये तरीका वर्तमान सरकार का आविष्कार नहीं है.
जानकारों के मुताबिक़, व्हाटअबाउटरी शीत युद्ध की देन है.
दरअसल, जब अमरीका और सोवियत संघ विश्व पटल पर एक दूसरे को नीचे दिखाने की कोशिश किया करते थे तब इस हथियार को बखूबी इस्तेमाल किया गया.
द इकोनॉमिस्ट में छपी ख़बर के मुताबिक़ सोवियत यूनियन द्वारा पोलेंड में मार्शल लॉ, विरोधियों को जेल भेजने और सेंसर शिप की आलोचना होने पर दूसरी ओर से तर्क आता था कि अमरीका में ट्रेड यूनियन के नेताओं को जेल भेजा गया है उसके बारे में क्या कहना है.



ये वो दौर था जब पूंजीवाद और साम्यवाद किसी भी तरह से खुद को दूसरे से बेहतर साबित करने की होड़ में थे.
ऐसे में अमरीका सोवियत संघ के ख़िलाफ़ मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाता था.

सोवियत संघइमेज कॉपीरइटTHINKSTOCK

लेकिन जब सोवियत संघ इसके जवाब में कहता था - "एंड यू आर लिंचिंग नीग्रोज़'. इसका मतलब "और तुम तो अफ़्रीकी अमरीकियों को सामूहिक रूप से घेरकर मार रहे हो" है.
इसके बाद अमरीका की ओर से उछाला गया सवाल रूस की व्हाटअबाउटरी श्रेणी की मिसाइल से टकराकर पानी में डूबकर मर जाया करता था.
लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि ये पश्चिम से आई हुई बुराई हो. भारत हमेशा विश्व गुरू रहा है और उसने पूरी दुनिया को ज्ञान दिया है.
ऐसे में व्हाटअबाउटरी का इतिहास भी महर्षि व्यास के महाकाव्य महाभारत में ही मिल जाता है.

कार्टूनइमेज कॉपीरइटPUNEET BARNALA/BBC

महाभारत में नियमों का उल्लंघन करके दुर्योधन की जंघा तोड़े जाने पर जब बलराम क्रोधित हुए. इस पर कृष्ण ने भीम का बचाव करते हुए उन्हें दुर्योधन के पाप याद दिलाते हुए कहा कि भीम ने प्रतिज्ञा कर रखी थी और कहा कि इस दुनिया में प्रतिज्ञा का पालन करना भी क्षत्रिय के लिए भी धर्म ही है.



बलराम कृष्ण के इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुए और क्रोधित होकर द्वारिका चले गए जैसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों की हत्या होते देखकर पत्रकार और दर्शक आगे बढ़ लेते हैं.

लाइन

व्हाटअबाउटरी का मतलब क्या होता है?

लेकिन सवाल ये है कि ऐसे तर्क या कुतर्क देने का मायने क्या होते हैं.
मनोविज्ञान की मानें तो व्हाटअबाउटरी का प्रयोग करने वाला ये मानता है कि वो ग़लत है लेकिन उसे अपनी ग़लती का पछतावा नहीं होता है.
क्योंकि वह सवाल पूछने वाले व्यक्ति को उसके पाप याद दिलाकर उसे अपनी बराबरी पर ले आता है. और अपराध करना सामान्य हो जाता है.
ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मेरॉल्ड वेस्टफल अपनी किताब ' में इसे समझाते हुए कहते हैं, "केवल वही लोग जो ये मानते हों कि वे ग़लत है, इस तरह के तर्कों की मदद से ये जताने की कोशिश करते हैं कि सवाल पूछने वाला लाख गुना ज़्यादा ग़लत है. ये करना ऐसे लोगों को सुरक्षित होने का अहसास देता है."



रविशंकर प्रसादइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

उदाहरण के लिए, जब राहुल गांधी के आरोपों पर रविशंकर प्रसाद सफ़ाई देने आए तो उन्होंने ऊंचे स्वर में राहुल और उनके परिवार के कथित पापों के बारे में बताया.
ऐसे में उन्होंने ये साबित करने की कोशिश की कि स्पष्टीकरण देने का सवाल ही नहीं उठता जब आरोप लगाने वाला खुद ही आरोपी हो.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैंसास में पढ़ाने वाले अमरीकी सामाजिक मनोवैज्ञानिक डैनियल बेटसन अपनी किताब व्हाट्स रॉन्ग विद मॉरेलिटी में कहते हैं, "लोगों ने ये समझ लिया है कि नैतिक होने के अपने फ़ायदे हैं, आप जांच और अपराधबोध से बच जाते हैं. लेकिन नैतिक होने से ज़्यादा फायदा नैतिक दिखने में है क्योंकि इसमें आपको नैतिक होने की कोई क़ीमत नहीं चुकानी पड़ती है." (पेज नंबर 97)



प्रोफेसर बेटसन ने जो बात कही है वो भारतीय परिप्रेक्ष्य में कहीं ज़्यादा लागू होती है. गांधी के दौर से भारत में नैतिकता से बड़ी कोई राजनीतिक पूंजी नहीं है.

मोदीइमेज कॉपीरइटREUTERS

लेकिन ऐसा नहीं है कि इस हथियार का प्रयोग 2014 के बाद ही शुरू हुआ है. खुद प्रधानमंत्री मोदी कई बार इसका प्रयोग कर चुके हैं.
साल 2012 में जब राहुल गांधी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा था कि गुजरात में सिर्फ़ एक आवाज़ सुनी जाती है और वो आवाज़ है मोदी जी की.
मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब इसके जवाब में ट्वीट करते हुए कहा था कि राहुल बाबा का पाखंड चरम पर है, वे कहते हैं कि गुजरात में बस एक आवाज़ सुनी जाती है. लेकिन उन पांच हज़ार स्कीमों का क्या जो उनके परिवार के नाम पर हैं.

मोदीइमेज कॉपीरइटNARENDRA MODI

बीजेपी के तमाम दूसरे नेता जैसे कि राकेश सिन्हा (राज्यसभा सदस्य) और विनय सहस्त्रबुद्धे भी अलग-अलग मौकों पर इसका प्रयोग कर चुके हैं.

राकेश सिन्हाइमेज कॉपीरइटTWITTER/RAKESHSINHA01

व्हाटअबाउटरी के ख़तरे क्या हैं?

इस सवाल का जवाब आसान है. भारत एक डेमोक्रेसी यानी लोकतंत्र है. यहां पर सर्वसहमति की अहमियत है. लेकिन इसके लिए संवाद और बातचीत जरूरी है. सरकारी पदों को संभाले हुए लोगों की जवाबदेही ज़रूरी है.

कार्टून

लेकिन व्हाटअबाउटरी ये सभी चीज़ें एक झटके में ख़त्म कर देता है. ऐसे में इस हथियार की मौजूदगी में किसी सरकार को किसी तरह की इमरजेंसी लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती. क्योंकि व्हाटअबाटरी हर तरह की जवाबदेही ख़त्म कर देती है.
इसके बाद सरकारें आती जाती हैं लेकिन सवालों के जवाब नहीं आते. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या बीजेपी राहुल को शेयर से लेकर ज़मीन की लूट में संलिप्त बताते हुए खुद को अंजाने में ही सही चोर मान रही है.




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