यूं तो इस मैच के नतीजे का कोई ख़ास असर नहीं पड़ने वाला था. लेकिन इसके बावजूद भारत-अफ़ग़ानिस्तान के मुक़ाबले पर सभी की नज़र थी.
इसकी वजह ये है कि भले अफ़ग़ानिस्तान इस टूर्नामेंट से बाहर हो चुका था लेकिन उसके खेल ने सभी का ध्यान खींचा. दूसरी तरफ़ भारतीय टीम ने अपने प्रमुख खिलाड़ियों को इस मैच में आराम दिया था.
ऐसे में ये देखना दिलचस्प होता कि क्या बेहतरीन खेल दिखा रही अफ़ग़ानिस्तान, कमज़ोर भारतीय टीम को चुनौती दे पाएगी. और ऐसा ही हुआ.
अफ़ग़ानिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी चुनी तो थोड़ी हैरानी हुई थी लेकिन मोहम्मद शहज़ाद ने धमाकेदार शतक से अपने कप्तान के फ़ैसले को सही साबित किया और टीम का स्कोर पहुंचा 252 रनों के चुनौतीपूर्ण स्कोर तक.
मैच कैसे टाई हो गया?
बदले में भारतीय टीम की शुरुआत बढ़िया रही लेकिन सलामी बल्लेबाज़ों की साझेदारी के बाद दूसरी कोई लंबी पार्टनरशिप नहीं हुई और आख़िरी ओवर में रवींद्र जडेजा के अतिउत्साही शॉट ने भारतीय टीम के भी 252 रनों पर थाम दिया और मैच टाई हो गया.
मैच के बाद कप्तान धोनी ने अफ़ग़ानिस्तान की तारीफ़ करते हुए कहा, ''मुझे लगता है कि इस टीम के क्रिकेट में काफ़ी सुधार हुआ है. एशिया कप की शुरुआत से अब तक वो जिस तरह से खेले हैं, ये काबिल-ए-तारीफ़ है. ये एक टीम ऐसी है, जिसने अपने खेल में ग़ज़ब का सुधार किया है.''
धोनी ने आगे कहा, ''उनकी बल्लेबाज़ी बढ़िया रही, उन्होंने अच्छी फ़ील्डिंग की और गेंदबाज़ी भी कसी हुई थी.''
ज़ाहिर है इस मैच में शिखर धवन, रोहित शर्मा जैसे बल्लेबाज़ और भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज़ों को आराम दिया गया था और भारतीय टीम पर इस बात का असर साफ़ दिखा.
धोनी क्या-क्या बोले?
कप्तान ने भी कहा, ''ये गोल्फ़ के खेल की तरह था क्योंकि हमने पूरी ताक़त के साथ शुरुआत नहीं की थी, अपने कई खिलाड़ियों को आराम दिया था. जब गेंद स्विंग नहीं होती तो तेज़ गेंदबाज़ों के लिए लेंग्थ पर गेंदबाज़ी करना ज़रूरी होता है, ऐसे में हमने 5-6 ओवरों का नुकसान झेला.''
धोनी ने ख़राब शॉट सेलेक्शन की बात भी उठाई. उन्होंने कहा, ''हमारे बल्लेबाज़ों ने कुछ शॉट भी ख़राब खेले.'' लेकिन धोनी की एक बात ने सबसे ज़्यादा ध्यान खेला जिसमें उन्होंने अम्पायर के फ़ैसले और फ़ाइन तक का ज़िक्र किया.
भारतीय टीम के कप्तान ने कहा, ''और कुछ रनआउट भी हुए. इसके अलावा कुछ ऐसी बातें हैं, जिनका ज़िक्र मैं नहीं करना चाहूंगा क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे पर जुर्माना लगाया जाए. नतीजे के रूप में टाई बुरा नहीं है, हम हार भी सकते थे.''
लेकिन वो क्या बात थी, जिसका ज़िक्र वो कर गए लेकिन ब्योरा बताने से बचे. धोनी दरअसल, अम्पायर के फ़ैसले की तरफ़ इशारा कर रहे थे, जिसमें उन्हें पगबाधा आउट दिया गया. लेकिन अम्पायर के साथ-साथ उन्हें के एल राहुल से भी ख़फ़ा होना चाहिए.
के एल राहुल की गलती भारी पड़ी?
26वें ओवर की पांचवीं गेंद पर जावेद अहमदी ने धोनी को फ़िरकी में फंसाया और बॉल उनके पैड से टकराई और अम्पायर ने उंगली उठा दी. धोनी निराश होकर पवेलियन की तरफ़ चल दिए.
और रिप्ले ने उनकी निराशा की तस्दीक की. गेंद ऑफ़ स्टाम्प पर उनके पैड से टकराई थी. धोनी ने शॉट खेलने के लिए पैर भी बाहर निकाला था. और गेंद टर्न होकर लेग स्टाम्प से बाहर जा रही थी.
लेकिन दिक्कत ये थी कि धोनी के पास इस फ़ैसले को पलटने के लिए DRS का विकल्प नहीं था. इसे केएल राहुल पहले ही ज़ाया कर चुके थे.
ये 21वें ओवर की बात है, जब राशिद ख़ान की बॉल पर राहुल LBW आउट हुए थे. अम्पायर ने आउट दिया लेकिन दिनेश कार्तिक के साथ चर्चा करने के बाद उन्होंने DRS ले लिया.
धोनी के चाहने वाले भी नाराज़
लेकिन वो साफ़ आउट थे और उन्हें लौटना पड़ा. अगर राहुल बिना DRS लिए लौट जाते, तो धोनी के पास DRS लेने का विकल्प होता और अम्पायर की चूक को पलटा जा सकता है.
सोशल मीडिया पर धोनी के प्रशंसकों ने भी इस चूक को तुरंत रेखांकित किया. सर जडेजा हैंडल से लिखा गया, ''अगर के एल राहुल ने रिव्यू ज़ाया न किया होता, तो धोनी नॉटआउट होते और क्रीज़ पर खेल रहे होते.''
दीपक राज वर्मा ने कहा, ''एम एस धोनी आउट नहीं थे लेकिन राहुल ने रिव्यू ज़ाया कर दिया और धोनी को पवेलियन लौटना होगा.''
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