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Tuesday, December 18, 2018


Top 5 Individual Indian Youtuber to follow in 2017 Upendra arya



1.BB Ki Vines
Bhuvan Bam or BB has been a global sensation on YouTube community.He uploads humor videos on his channel BB Ki Vines.He himself plays 4-5 character himself and shoots with his Nexus mobile phone.His Fameer Fuddi character being the most favorite among all his viewers.BB lives in New Delhi, apart from comedy Bhuvan is a musician by profession and earns by doing Live shows.He has been making people laugh since he was in school and made random video and uploaded on social network and it went viral.His channel was recently awarded with the fastest growing channel in YouTube community.He deserves top place in the list of Top 10 Individual Indian Youtuber.


2.Sandeep Maheshwari
Sandeep Maheshwari is one of the fastest growing entrepreneurs of India. He is the founder and CEO of Imagesbazaar.com, the largest collection of Indian images.Sandeep Maheshwari is a motivational speaker and is  very well known among people for his free Life-Changing Seminars to motivate and inspire the mind of young peoples.His seminars mainly deals with what maximum people are afraid of like of Public Speaking,Fear of something.Sandeep Maheshwari is now a very well known name among the Motivational Speakers.He uses his examples to make people their real potential.He also started from the bottom and has a huge subscriber base now.His videos are great way to know yourself better.He deserves his place in the list of Top 10 Individual Indian Youtuber.
he's video
https://youtu.be/7cZDRM28LgM




3.Nisha Madhulika
If you wish to learn cooking in the most simple manner search for Nisha Madhulika.She started her youtube channel at age of 52 years.Before that she started her blog in 2007.The blog nishamadhulika.com  was a instant hit.In her early days of Youtube her husband would do all the necessary shooting,editing and publishing the videos on Youtube.Now as the scale has gone up significantly.She has a team of 5 members who help her out in creating her content,shooting,editing and publishing.She has a very soothing and comforting voice and she can taught you the dishes in the most easiest way possible.She was recently picked by Youtube for their Tv Advertisement.She definitely deserve her spot in top place in the list of Top 10 Individual Indian Youtuber.
he's video


https://youtu.be/e2qSFKCkn_Y

4.Technical Guruji
“Technical Guruji” is a Tech Channel on YouTube owned by Gaurav Chaudhary.He started this channel back in October 2015,back in those days he had just completed his M.E. (Microelectronics) from BITS Pilani.Since his childhood days he was always inclined towards technology.He used to upload 1 video everyday, that used to get an average of 300-400 views. But as they say “Patience pays off”. Today, “Technical Guruji” has garnered over 1 Million subscribers, with more than 80 Million video views on the channel, all this, just in a span of 16 months. “If you go viral, you are here to stay,” says YouTube, and today “Technical Guruji” is India’s Largest Tech Channel on YouTube.He was fastest growing Tech Channel in India so he deserve a huge shoutout in top place in the list of Top 10 Individual Indian Youtuber.
he's video
https://youtu.be/hstwA1CJeGc
6.CarryMinati

Ajay Nagar the man behind CarryMinati.YouTuber who makes videos roasting other YouTuber. He is funny, witty and hilarious.He lives in Faridabad with his family.He started his Youtube channel when he was in VI standard.His first channel was STEALTHEARZ where he uploaded his football skills and tricks.But,the channel was not that successful.Later in 2014 he started his channel “CARRY DEOL” and renamed it to “CARRY MINATI” in 2015.One of his video titled “BB ki Vines ROAST” that video crossed 1,00,000+ views and was instant hit.He uploaded 7 more videos that month and got over 50,000+ subscriber in a single month.His most characters are Tau and Mundal.He deserves a place in the list of Top 10 Individual Indian Youtuber.
he's video


https://youtu.be/X5_Pj-ooYgA

अब आप सब को भूल जाइए अब बात करते है #UpendraArya ,#AryaTechLoud  चैनल के बारे में ओवेनेर Upendra Arya 
Upendra Arya

Upendra arya

From India he is a Indian YouTuber in Uttar Pradesh 
he is use highly quality content that awesome video but don't why the are not increase and their subscriber
watch he's constant in letest video



Other video




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Friday, December 14, 2018

10 ऐसे कारण जिनकी वजह से हम धरती पे जिन्दा है। जनके होंगे हैरान की ये अगर किसी आवर ग्रह पे हो तो हम वहा रह सकते है।


10 ऐसे कारण जिनकी वजह से हम धरती पे जिन्दा है। जनके होंगे हैरान की ये अगर किसी आवर ग्रह पे हो तो हम वहा रह सकते है।




सूर्य से एकदम सहीं अंतर

सौरमंडल में सिर्फ पृथ्वी पर ही हमे जीवन मिलता हैं दूसरी किसी भी जगह पर नहीं, इसका एक कारण हैं। हमारा गृह सूर्य के आसपास एकदम सही अंतर की दूरी से अपनी कक्षा में भ्रमण करता हैं। जहाँ पर बहुत ज्यादा ठण्ड भी नहीं होती और बहुत ज्यादा गर्मी भी नहीं होती। यह एक ऐसा आवासीय क्षेत्र हैं जहाँ पर पानी तरल स्वरुप में मौजूद रह सकता हैं जो जीवन के लिए एक बुनियादी आवश्यकता हैं। अगर हमारा ग्रह शुक्र के स्थान पर होता तो बहुत ज्यादा गर्मी का सामना करना पड़ता और मंगल के स्थान पर होता तो बहुत ज्यादा ठण्ड का।

हमारा चंद्रमा :

हमे हमारे बड़े और खूबसूरत चन्द्रमा के लिए आभारी होना चाहिए। चंद्रमा के बिना आप यहाँ पर नहीं होते। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति (सूरज की मदद से) समंदर में ज्वार पैदा करती हैं। एक सिध्धांत ऐसा कहता हैं की हमारे ग्रह पर जीवन की शुरूआत ज्वारीय क्षेत्रोँ में ही हुई थी।

स्थिर परिभ्रमण: 

पृथ्वी का परिभ्रमण सुबह सूरज को उगाता हैं और रात को उसे फिर से निचे भेज देता हैं। अगर हमारी पृथ्वी परिभ्रमण न करती तो,एक तरफ आग ही आग होती और दूसरी तरफ ठण्ड से जीवन ख़त्म हो जाता। लेकिन सही परिभ्रमण के कारण पृथ्वी पर एकदम सहीं तापमान के रात और दिन होते हैं। हमारा चंद्रमा पृथ्वी की परिभ्रमण करने की शक्ति को चुराता हैं जिस से हमारे ग्रह की गति कम होती हैं। 1.5 मिलीसेकंड हर सदी में।

लगातार गुरुत्वाकर्षण

आज तक वैज्ञानिक ठीक से नहीं जान पाए हैं की गुरुत्वाकर्षण बल वास्तव में काम कैसे करता हैं। लेकिन हमनें उसे स्वीकार लिया हैं। यह हमे वास्तव में हम जो हैं वैसा बनाने में मदद करता हैं। यह हमारी ताकत को परिभाषित करता हैं। हम पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के आदि हो गए हैं।

सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र 

अगर हमारी पृथ्वी के पास एक मजबूत और अपेक्षाकृत चुंबकीय क्षेत्र न होता तो हम सभी अंतरिक्ष से आती COSMIC किरणों से और सौर तूफानों से जल कर राख हो जाते। यह चुंबकीय क्षेत्र स्थिर नहीं हैं। हमारी पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव समय समय पर बदलते रहते हैं। वैज्ञानिको का मानना हैं की हमारे नजदीकी भविष्य में ही ऐसी एक फ्लिप होने वाली हैं।

तापमान क्षेत्र

हमारे ग्रह पर अलग अलग क्षेत्रों में तापमान भी अलग अलग होता हैं। अलग अलग तापमान होने से जलवायु भी अलग अलग होती हैं। जिससे यहाँ पर जीवन में भी विविधता देखने को मिलती हैं। पृथ्वी पर सबसे कम से कम तापमान माइनस  89.2 डिग्री सेल्सियस और ज्यादा से ज्यादा तापमान  57.8 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया हैं।

गहरा नीला समुद्र

हमारी पृथ्वी का 70 प्रतिशत हिस्सा समुद्र से गिरा हुआ हैं। पृथ्वी के जीवन को टिकाए रखने के लिए समंदरों का होना बहुत जरूरी हैं क्योंकि का तरल पानी ही जीवन की सबसे बड़ी बुनियादी आवश्यकता हैं। समुद्र से ही जलवायु टिक सकती हैं।

समुद्र का स्तर

महासागर एक आशीर्वाद के साथ साथ एक अभिशाप भी हो सकता हैं। अभी के दशकों में समुद्र का स्तर स्थिर हैं ऐसी अवधारणा थी। लेकिन हाल ही के वक्त में स्थितियां बदल रहीं हैं। समुद्र के गर्म होने के कारण बर्फ और ग्लेशियर्स पिगल रहे हैं जिसकी वजह से समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रहीं हैं। दुनिया के कुछ द्वीप समुद्र के अन्दर डूब जाने की तैयारी में हैं। समुद्र का स्तर 1950-2009 में प्रति वर्ष 0.08 इंच की तेजी से बढ़ा हैं।

हरियाली

हरा एक बहुत ही महत्वपूर्ण रंग हैं। यह एक कुदरत का करिश्मा ही हैं की सूर्य के प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी का photosynthesis की प्रक्रिया से वानस्पतिक भोजन में रूपांतरण होता हैं। photosynthesis प्रक्रिया पशु जीवन के लिए आधार प्रदान करती हैं।

इलेक्ट्रिक पृथ्वी

अमेरिका के दर्जनों निवासी हर साल बिजली गिरने से मारे जाते हैं। लेकिन बिजली जीवन की उत्पत्ति के लिए  महत्वपूर्ण हो सकती है। वातावरण में पानी, मीथेन और अन्य रसायनों के साथ बिजली अमीनो एसिड और शक्कर का निर्माण करती हैं जी जीवन के जरूरी अंग हैं।

अंतरिक्ष

हमारी पृथ्वी एक वैक्यूम में मौजूद नहीं है। हमारे सौर मंडल में अंतरिक्ष क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं,धूल और गैस के निशानों से भरा हुआ है। अभी भी छोटी अंतरिक्ष चट्टानों की पृथ्वी पर हररोज बारिश होती हैं। लेकिन ऐसी बड़ी चट्टानों पर NASA हमेशां नजर रखता हैं। हमारे ग्रह के गठन के प्रारंभिक वर्षों में कोई ऐसा ही बड़ा धूमकेतु या
क्षुद्रग्रह टकराया था जो अपने साथ पृथ्वी के लिए पानी और अन्य महत्वपूर्ण रसायन लाया था।

हमारी पृथ्वी के पास इन सारी चीजों का होना एक संयोग तो नहीं हो सकता। कम से कम मैं तो ऐसा नहीं मानता। चन्द्रमा और सूरज हमारी पृथ्वी से अलग अलग स्थान की दूरी पर हैं। सूरज 15 करोड़ किलोमीटर दूर हैं जब की चंद्रमाँ 3,84,400 किलोमीटर दूर हैं। तो क्या यह एक संयोग हैं की पृथ्वी से वह दोनों एक ही आकार के दीखते हैं? फैसला आपका हैं। सोचिये। 
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Saturday, November 24, 2018

वो तकनीक जिसके लिए रेस में हैं चीन और अमरीका / Technology for which China and America are in the race



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अमरीका की राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीक परिषद ने बीते साल सितंबर में साइंस ऑफ़ क्वान्टम इंन्फ़ॉर्मेशन (सीआईसी) के विकास के लिए एक नई रणनीति प्रकाशित की थी. ये ख़बर कुछ विशेष मीडिया माध्यमों में ही आई थी.
15 पन्नों की इस रिपोर्ट में डोनल्ड ट्रंप प्रशासन को सीआईसी क्षमताओं को मज़बूत और विकसित करने के लिए सिफ़ारिशें दी गई थीं.


इस रणनीति पर चर्चा करने के लिए देश की बड़ी तकनीकी कंपनियों, शिक्षाविदों, अधिकारियों, वित्तीय कंपनियों को व्हाइट हाउस बुलाया गया था. इनमें एल्फ़ाबेट, आईबीएम, जेपी मॉर्गन चेज़, लॉकहीड मार्टिन, हनीवेल और नोर्थ्रोप ग्रुमैन जैसी कंपनियां भी शामिल थीं.
विज्ञान के इस क्षेत्र में 118 योजनाओं में 24.9 करोड़ डॉलर का निवेश प्रस्तावित किया गया था.
वहीं दुनिया के दूसरे छोर, यानी चीन में भी इसी तर्ज़ पर कुछ हो रहा है.
चीन सरकार हेफ़ेई में नेशनल लेबोरेट्री ऑफ़ क्वांटम इन्फ़ॉर्मेशन साइंस विकसित कर रही है. दस अरब अमरीकी डॉलर की लागत से बनने वाले इस केंद्र के 2020 में शुरू होने की उम्मीद है.
दो साल पहले ही चीन ने पहले क्वांटम कम्यूनिकेशन सैटेलाइट को भई लॉन्च किया था.





बीते साल चीनी सरकार ने जिनान में एक गुप्त कम्यूनिकेशन नेटवर्क स्थापित करने की भी घोषणा की थी. सेना, सरकार और निजी कंपनियों से जुड़े अधिकतर 200 यूज़र ही इसका इस्तेमाल कर सकेंगे.
क्वांटम इंन्फ़ॉर्मेशन के क्षेत्र में दुनिया की दो बड़ी आर्थिक शक्तियों की प्रतिद्वंदिता ही इसके महत्व को दर्शाती है. यहां तक कहा जा रहा है कि ये तकनीक इतनी शक्तिशाली होगी कि दुनिया को बदल कर रख देगी.

क्या है सीआईसी?


इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ोटेनिक साइंसेस ऑफ़ बार्सिलोना और थ्योरी ऑफ़ क्वांटम इन्फ़ॉर्मेशन ग्रुप में शोधकर्ता एलेख़ांद्रो पोज़ास कर्सटयेंस ने क्वांटम तकनीक के बारे में समझाते हुए बीबीसी मुंडो से कहा, "क्वांटम तकनीक सूचनाओं की प्रोसेसिंग में क्रांतिकारी बदलाव लाने का वादा करती है."


वो कहते हैं, "सभी सूचनाएं बाइनरी सिस्टम में एनकोड होती हैं (लिखी जाती हैं)- यानी ज़ीरो और वन में लेकिन 60 के दशक में ये पता चला कि जहां ये सूचनाएं रखी जाती हैं वो जगह भी इनके इस्तेमाल को प्रभावित कर सकती है."
वो कहते हैं, "इसका मतलब ये है कि हम सूचनाओं को कंप्यूटर चिप पर स्टोर कर सकते हैं, जैसा कि हम आजकल कर रहे हैं, लेकिन हम उन ज़ीरो और वन को अन्य बेहद सूक्ष्म सिस्टम में स्टोर कर सकते हैं जैसे कि एक अकेले परमाणु में या फिर छोटे-छोटे अणुओं में."

Aryatechloud


वैज्ञानिक एलेख़ांद्रो पोज़ास कहते हैं, "ये परमाणु और अणु इतने छोटे होते हैं कि इनके व्यवहार को अन्य नियम भी निर्धारित करते हैं. ये नियम जो परमाणु और अणु के व्यवहार को तय करते हैं, ये ही क्वांटम थ्योरी या क्वांटम दुनिया के नियम हैं."
क्वांटम इन्फ़ॉर्मेशन साइंस इन बेहद सूक्ष्म सिस्टम में दिखने वाले क्वांटम गुणों का इस्तेमाल करके सूचनाओं को ट्रांसमिट और प्रोसेस करने के काम में सुधार लाती है.


यानी सीआईसी हमारे सूचनाओं को प्रोसेस करने के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाने का भरोसा देती है, जिससे स्वास्थ्य एवं विज्ञान, दवा निर्माण और औद्योगिक निर्माण जैसे क्षेत्रों में हज़ारों नई संभावनाएं पैदा होंगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि 'क्वांटम सांइस हर चीज़ को बदल कर रख देगी.' यही वजह है कि दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली देश इस क्षेत्र में आगे होने के लिए प्रतिद्वंदिता कर रहे हैं.


क्वांटम सैटेलाइट

इस क्षेत्र में अभी तक जो हुआ है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि चीन ने इस रेस में अपनी बढ़त बना ली है. साल 2016 में चीन ने दुनिया की सबसे पहली क्वांटम कम्यूनिकेशन सैटलाइट लांच करने की घोषणा की और एक साल बाद ये दावा किया कि वो इसके ज़रिए एनक्रिप्टेड संचार स्थापित कर सकता है जिसे दुनिया का कोई और देश नहीं पढ़ सकता.


एलेख़ांद्रो पोज़ास समझाते हैं, "यहां दो प्रयोग किए गए थे. पहले प्रयोग में सैटेलाइट के साथ ज़मीन से संपर्क स्थापित किया गया और फिर उस सैटेलाइट का फ़ायदा उठाते हुए ज़मीन पर मौजूद दो केंद्रों के बीच क्वांटम एनक्रिप्टेट सिग्नल से संपर्क स्थापित किया गया. इसमें सैटेलाइट ने दोनों केंद्रों के बीच रिपीटर की भूमिका निभाई."

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सूचना अपने गंतव्य तक पहुंची है या नहीं या उसे रास्ते में इंटरसेप्ट तो नहीं किया गया है, अभी इस्तेमाल किए जा रहे इंन्फ़ॉर्मेशन ट्रांसफ़र के तरीक़ों में ये जानने की क्षमता नहीं है.
हालांकि चीन के प्रयोगों ने सिर्फ़ इस कांसेप्ट को ही साबित नहीं किया बल्कि उसने ये भी दिखा दिया कि उसके पास ऐसा करने की क्षमता है.
पोज़ास कहते हैं, "ये सच है कि उन्होंने ये साबित कर दिया कि ऐसा किया जा सकता है लेकिन अभी तक इसके व्यापक इस्तेमाल की क्षमता हासिल नहीं की गई है."

क्वांटम कंप्यूटर

क्वांटम कंप्यूटर के क्षेत्र में अभी इस संभावना तक नहीं पहुंचा जा सका है. दुनिया के कई देशों की कई कंपनियां क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने के प्रयास कर रही हैं.
प्रयोगों में ऐसे कंप्यूटर बनाए गए हैं लेकिन उन्हें अभी औद्योगिक स्तर पर बनाना संभव नहीं हो पाया है.


एलेख़ांद्रो पोज़ास कहते हैं, "वास्तव में क्वांटम कंप्यूटर एक अबूझ पहेली है. सीआईसी के क्षेत्र में सभी प्रयास प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसी दिशा में हो रहे हैं."


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क्लासिकल कंप्यूटर बिट्स में काम करते हैं और इनमें सूचना ज़ीरो और वन के रूप में प्रसारित की जाती है. दूसरी ओर क्वांटम कंप्यूटिंग भी इन्हीं दो रूपों के सुपरपोज़िशन के सिद्धांत पर काम करती है और सब-एटॉमिक पार्टिकल्स के मूवमेंट को डाटा प्रोसेस करने के लिए इस्तेमाल करती है.
आज ये तकनीक अधिकतर थ्योरी में ही है. लेकिन उम्मीद है कि किसी दिन इससे सफलतापूर्वक कैलकुलेशन की जाएंगी. जब ऐसा होगा, तब आज के कंप्यूटर पुराने ज़माने के एबाकस की तरह लगेंगे.
अमरीका में आईबीएम, गूगल और माइक्रोसॉफ़्ट जैसी कंपनियां अपने क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने में लगी हैं. चीन में भी अलीबाबा और बायडू जैसी कंपनियां भी क्वांटम कंप्यूटर बनाने का प्रयास कर रही हैं.
लेकिन ये कंप्यूटर बनाना आसान नहीं है. इसमें सबसे बड़ी समस्या ये जानना है कि एक कंप्यूटर कितने क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) के ज़रिए काम कर सकता है.
कहा जा रहा है कि अभी गूगल सबसे आगे है जो 72 क्यूबिट्स का प्रोसेसर बना रहा है.


इसके अलावा इनके रखरखाव की भी समस्या होगी. इन्हें बेहद कम तापमान पर रखना पड़ेगा.
फिलहाल ऐसे क्वांटम कंप्यूटर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं जो रूम टेंपरेचर पर काम कर सकें.

क्वांटम क्रांति


लेकिन क्वांट मतकनीक भविष्य में क्या क्रांति ला सकती है? एलेख़ांद्रो पोज़ास कहते हैं, "ये क्रांति ऐसी ही होगी जैसी सबसे पहले कंप्यूटर के कारण शुरू हुई थी."
"हम ऐसी नई चीज़ें कर पाएंगे जैसे दवाइयां बनाना या प्रोटोटाइप करना या फिर ईंधन का कम इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए रास्ते निर्धारित करना. क्वांटम कंप्यूटर इस तरह की समस्याओं को सुलझा सकेंगे."

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लेकिन सरकारों की सबसे ज़्यादा दिलचस्पी रक्षा क्षेत्र में इनका इस्तेमाल करने में है. जैसे कि बेहद सुरक्षित संवाद स्थापित करना या दुश्मन के विमानों का पता लगाना.
लेकिन क्वांटम साइंस के युद्धक्षेत्र में कौन जीत रहा है- फिलहाल ये कहना मुश्किल है.
एलेख़ांद्रो पोज़ास कहते हैं, "हम कह सकते हैं कि क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में अमरीका आगे है जबकि क्वांटम कम्यूनिकेशन में चीन जीतता दिख रहा है."
"क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में कई पहलू हैं और कई देश इनमें अपने आप को अग्रणी रखने की दिशा में काम कर रहे हैं."





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Thursday, November 22, 2018

प्रेमी को मारकर शव के टुकड़ों से बना दी बिरयानी After Kill made biryani to lovers

प्रेमी को मारकर शव के टुकड़ों से बना दी बिरयानी
मोरक्को की एक महिला पर प्रेमी की हत्या कर उसके शव के टुकड़े-टुकड़े करने और इन्हें पकाकर मज़दूरों को खिलाने का आरोप लगा है.

मामला संयुक्त अरब अमीरात का है. अभियोजकों का कहना है कि महिला मोरक्को की है. पुलिस के मुताबिक महिला ने तीन महीने पहले अपने ब्वॉयफ्रेंड की हत्या कर दी थी, लेकिन ये मामला तब पकड़ में नहीं आया था.
ये मामला तब पकड़ में आया जब महिला के ब्लेंडर के अंदर एक मानव दांत मिला.
अमीरात के सरकारी अख़बार 'द नेशनल रिपोर्ट्स' के मुताबिक महिला ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और कहा है कि उसने गुस्से में आकर ये हत्या की.

महिला की उम्र 30 साल के आस-पास है और अब उस पर हत्या का मुकदमा चलेगा.

गुस्से में हत्या

अख़बार के मुताबिक महिला सात साल तक अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ रिश्ते में थी, लेकिन एक दिन ब्वॉयफ्रेंड ने महिला को बताया कि वो उससे शादी नहीं कर सकता और किसी अन्य महिला से शादी करना चाहता है.

हालाँकि पुलिस ने यह नहीं बताया कि ब्वॉयफ्रेंड की हत्या कैसे हुई. अख़बार के मुताबिक महिला ने ब्वॉयफ्रेंड के शव के टुकड़े-टुकड़े कर चावल के साथ पकाए और पास में काम करने वाले पाकिस्तानी मज़दूरों को खिलाया.

मामले का पता तब चला जब मारे गए व्यक्ति का भाई उसे खोजने के लिए ओमान की सीमा के पास स्थित अल इन शहर आया. वहाँ उसने महिला के ब्लेंडर के अंदर एक मानव दांत पाया.
पुलिस को जानकारी दी गई और फिर बरामद दाँत का डीएनए कराया गया. इससे पता चला कि उस व्यक्ति की हत्या हुई है.
पुलिस के मुताबिक महिला ने मृतक के भाई को बताया था कि उसने उसके भाई (मृतक) को घर से निकाल दिया था. लेकिन पुलिस की कड़ाई से पूछताछ के बाद उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया और माना कि उसने ही ब्वॉयफ्रेंड की हत्या की थी.
महिला ने कथित तौर पर ये भी कहा कि उसने कुछ दोस्तों की मदद से शव के अवशेष हटाए.


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Monday, November 19, 2018

जंगल की आग से जुड़े पांच बड़े मिथक / Five big myths associated with forest fire

जंगल की आग से जुड़े पांच बड़े मिथक AryaTechLoud
अमरीका के कैलिफ़ोर्निया में जंगल की आग ने भयंकर तबाही मचाई है.


हज़ारों लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा और दर्जनों लोगों की मौत हो गई. इससे पहले, इसी साल की शुरुआत में यूनान में एक के बाद एक सिलसिलेवार ढंग से फैली जंगल की आग ने 99 लोगों की जान ले ली थी.
ये 2009 के बाद जंगल की आग से हुई सबसे बड़ी तबाही थी. जुलाई 2018 में रूस के जंगलों में लगी आग का धुआं प्रशांत महासागर को पार कर के अमरीका तक पहुंच गया था.
जंगल की आग का ये नया और भयानक रूप है.


अब जबकि दुनिया भर में जंगल में भड़क उठने वाली आग की घटनाएं बढ़ रही हैं तो इसे लेकर लोगों की जो ग़लतफ़हमियां हैं, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं.

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जंगल की आग से जुड़ी जो पांच अवधारणाएं हैं, वो इस आग से निपटने की हमारी कोशिशों को नाकाम कर सकती हैं. इसलिए इन्हें जानना ज़रूरी है.

1. जंगल की नियमित छंटाई से आग नहीं भड़कती
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जंगल की आग से जुड़ी ये सबसे आम ग़लतफ़हमी है. लोगों को लगता है कि पेड़ों को काटने-छांटने से आग भड़कने का डर कम हो जाता है.
लेकिन, जंगलों के बहुत से जानकार कहते हैं कि कटाई-छंटाई से जंगल में आग कम नहीं होती, बल्कि भड़क उठती है.
इसकी वजह ये है कि पेड़ काटने के बाद उसके ठूंठ, सूखी पत्तियां और दूसरे सूखे हिस्से गिरे रह जाते हैं. ये आग को और भड़काने का काम करते हैं.
इस बात को सही ठहराने वाले कई वैज्ञानिक तथ्य हैं. जैसे कि एक हालिया रिसर्च बताती है कि जहां पर जंगलों को क़ाबू करने की ज़्यादा कोशिश हुई, वहां पर आग ज़्यादा भड़की.
जंगल की आग पर रिसर्च करने वाले विद्वान कहते हैं कि जंगल काटने से संरक्षित जीवों का कोई बचाव नहीं होता.
हकीकत ये है कि चकत्तेदार उल्लू जैसी कई विलुप्त हो रही प्रजातियां, जले हुए पेड़ों से ही फ़ायदे में रहते हैं. पेड़ काटने से उन्हें नुक़सान होता है.
आग के बाद भी जो कटाई-छंटाई होती है, वो भी इन जीवों के लिए नुक़सानदेह होती है.
इससे अच्छा विकल्प ये है कि जंगलों को पूरी तरह से ही साफ़ कर दिया जाए.
अक्सर आग से मुक़ाबला करने वाले ये विकल्प कामयाबी से आज़माते रहे हैं.

2. आप आग से अपनी संपत्ति नहीं बचा सकते हैं

AryaTechLoud

जंगल की आग भयानक और डरावनी होती हैं. लेकिन, ख़तरे वाले इलाक़े में रह रहे लोग कुछ उपायों से अपने नुक़सान को कम कर सकते हैं.
इमारत बनाते वक़्त ही जल्द आग पकड़ने वाली चीज़ों का कम से कम इस्तेमाल होना चाहिए.
ज्वलनशील चीज़ों को मकान के आस-पास नहीं रखना चाहिए. जैसे कि सूखी पत्तियों को घर के ऊपर या पास की नालियों में जमा नहीं होने देना चाहिए.
मकान के इर्द-गिर्द लोग सुरक्षा घेरा भी तैयार कर सकते हैं. मकान से एक नियमित दूरी तक झाड़ियां, सूखी लकड़ियां और पत्तियां हटा दी जानी चाहिए.
जब तेज़ी से आग पकड़ने वाली ऐसी चीज़ें घर से 30-100 फुट की दूरी पर रहती हैं, तो घर तक आग पहुंचने का डर कम होता है.
इसी तरह घर से दूर वाले कुछ पेड़ों की ऊंचाई 100 फुट तक होनी चाहिए.
पेड़ों की कटाई-छंटाई भी नियमित रूप से होनी चाहिए, ताकि आग पकड़ने का सामान आस-पास न रहे.
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3. जंगल की आग क़ुदरत की हक़ीक़त है
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इसमें कोई दो राय नहीं कि जंगल की आग प्राकृतिक प्रक्रिया है.
लेकिन, इसकी तेज़ी अब बढ़ती जा रही है. वैज्ञानिक बार-बार जंगलों में भयानक आग लगने की वजह जलवायु परिवर्तन को बताते हैं.
1930-1980 के दशक में औसतन कम ही आग जंगलों में भड़की थी. उस वक़्त मौसम आज के मुक़ाबले ठंडा हुआ करता था.
पिछले चार दशकों में दुनिया का मौसम गर्म हुआ है. नमी कम हुई है. इसलिए जंगलों में आग की घटनाएं भी बढ़ गई हैं.
1980 और 1999 में जंगल की आग ने अमरीका में 60 लाख एकड़ ज़मीन को तबाह कर दिया.
वहीं 2000 से 2017 के बीच दस सालों में अमरीका में इससे ज़्यादा ज़मीन जंगल की आग से तबाह हुई.
दुनिया की बात करें, तो जंगल की आग का सीज़न 1978 से 2013 के बीच 19 फ़ीसद तक बढ़ चुका है.
आप आग लगने की किसी एक घटना को जलवायु परिवर्तन से नहीं जोड़ सकते.
मगर, दुनिया भर में भड़कती आगों की घटनाओं का ताल्लुक़ धरती की बिगड़ती आबो-हवा से तो है ही.
बार-बार पड़ने वाले सूखे, तेज़ गर्मी, हवा में नमी की कमी और तेज़ हवाएं आग को भड़काती हैं.
वैज्ञानिक कहते हैं कि इसी वजह से साइबेरिया के जंगल से लेकर पुर्तगाल तक आग भड़क रही है.

4. जंगल की हर आग बुरी है


हमारे इकोसिस्टम के लिए आग बहुत ज़रूरी है. पिछले हज़ारों सालों में धरती पर आग की घटनाओं ने जीव-जंतुओं का रुख बदला है.
कई जीवों के लिए तो जंगल की आग बहुत ज़रूरी है. कुछ कीड़े ऐसे हैं, जो आग में ही बच्चे पैदा करते हैं.
चीड़ और देवदार के बीज आग में ही प्रस्फुटित होते हैं. आग के बाद साफ़ हुई ज़मीन पर नए पेड़-पौधे उगते हैं.
घने जंगल साफ करने का काम अक्सर ख़ुद से भड़की आग कर डालती है.


आग से पेड़ों की टहनियां कम होती हैं, जो अगर न ख़त्म हों तो आग भड़काने का ईंधन बन सकती हैं.
लेकिन, पिछली एक सदी में इंसान लगातार ख़ुद से लगी आग को क़ाबू करने में पूरी ताक़त लगाता रहा है.
इससे ज़मीन साफ़ होने की क़ुदरती प्रक्रिया पर लगाम लग गई है. आज की तारीख़ में अमरीका में एक फ़ीसद से भी कम जंगली आग को ख़ुद से जलने और बुझने दिया जाता है.
ऐसी रणनीति तभी कारगर होती है, जब आग कम लगती है. लेकिन, इस वक़्त तो दुनिया के तमाम हिस्सों में जंगलों में आग भड़क रही है.
इसलिए इन्हें बुझाने में पैसे फूंकना फ़ायदे का सौदा नहीं लगता.

5. जंगल की आग को पूरी तरह से ख़त्म करना मुमकिन है

जलवायु परिवर्तन और जंगल में घुस कर बसती इंसानी बस्तियों की वजह से जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़नी तय हैं.
ख़ास तौर से कम ऊंचाई वाले इलाक़ों में. हो सकता है कि गर्म देशों में आग लगने की घटनाएं कम हों.
भूमध्य रेखा के पास के देशों के लिए ये राहत भरी ख़बर हो सकती है. लेकिन बाक़ी दुनिया को जंगलों की आग का क़हर झेलना होगा.
कैलिफ़ोर्निया में लगी भयंकर आग जैसी कई ऐसी आग की घटनाएं होती हैं, जिन्हें काबू करना मुश्किल हो जाता है.
लोगों को सुरक्षित निकालना ही इन से निपटने का सही तरीक़ा है.


सवाल ये उठता है कि आग लगने पर लोगों के लिए घर-बार छोड़कर भागना ही विकल्प है?
कुछ जानकार कहते हैं कि जंगल की आग से निपटने के लिए हमें पुराने, परंपरागत तरीक़ों की तरफ़ लौटना होगा.
केवल पेड़ काटने से काम नहीं चलेगा. इससे तो आग और भड़कने का डर है.
अब नीति-नियंताओं को तय करना है कि क़ुदरत की इस मार से निपटने का सबसे अच्छा तरीक़ा क्या हो सकता है.
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